What Does Shodashi Mean?
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Inspiration and Empowerment: She is a symbol of power and bravery for devotees, particularly in the context of your divine feminine.
ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
When the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is said to become the highest form of worship of the goddess. There are actually 64 Charkas that Lord Shiva gave to the human beings, as well as various Mantras and Tantras. These got so that the individuals could target attaining spiritual Rewards.
It can be an experience with the universe inside the unity of consciousness. Even within our standard condition of consciousness, Tripurasundari will be the natural beauty that we see on the globe all around us. No matter what we perceive externally as attractive resonates deep in.
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra results in a spiritual protect all-around devotees, preserving them from negativity and harmful influences. This mantra acts like a supply of security, aiding persons sustain a positive surroundings no cost from mental and spiritual disturbances.
हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है here और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।